CDSL क्या है? | CDSL Meaning in Hindi

CDSL क्या है? : CDSL का मतलब सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज लिमिटेड है अगर आप शेयर मार्केट में है तो आपने कभी ना कभी CDSL के बारे में जरूर सुना होगा, या फिर आपने डिमैट अकाउंट बनाया है तो उसके बाद आपको CDSL या NSDL का मैसेज जरूर मिला होगा

लेकिन क्या आप CDSL के बारे में जानते हैं अगर नहीं तो आज के इस लेख में हम CDSL के बारे में पूरी जानकारी देंगे और साथ ही यह भी जानेंगे कि आखिर सीडीएसएल करता क्या है? और CDSL में अकाउंट कैसे खोलते हैं? चलिए इसके बारे में हम इस आर्टिकल में विस्तार से चर्चा करते हैं –

सीडीएसएल क्या है ? | Meaning of CDSL in Hindi

CDSL का मतलब सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज लिमिटेड है, इससे 1999 में स्थापित किया गया था और वर्तमान समय में यह 2.78 करोड़ से अधिक डिमैट अकाउंट को संभालता है। CDSL भारत में डिपॉजिटरी हैं जो आपके शेयरों को इलेक्ट्रॉनिक रूप से स्टोर करने में मदद करता हैं। डिपॉजिटरी वे कंपनियां होती हैं जो स्टॉक ब्रोकर्स को Demat Services प्रदान करती हैं।

प्रत्येक स्टॉक ब्रोकर NSDL या CDSL या दोनों के साथ रजिस्टर्ड होते हैं और ‌इन्हे (DP) डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट कहा जाता है। साथ ही आपकी जानकारी के लिए बता दें CDSL सेबी पंजीकृत संस्था हैं, और वे न केवल शेयरों को डीमैटरियलाइज्ड फॉर्म में स्टोरेज करने में मदद करती हैं बल्कि अन्य वित्तीय साधनों जैसे :-

  • डिबेंचर (Debenture)
  • बांड (bond)
  • एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड्स (ETF)
  • म्यूचुअल फंड्स (Mutual Funds)
  • सरकारी प्रतिभूतियां (GSEC)
  • ट्रेजरी बिल (टी-बिल), आदि।

CDSL का विस्तृत रूप

डियर पाठक CDSL को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) द्वारा promoted किया जाता है। CDSL में HDFC बैंक, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक और केनरा बैंक की भी हिस्सेदारी है।

यह अपनी 222 शाखाओं के साथ 120 शहरों/कस्बों में उपस्थिति है। और 30 जून 2017 को, CDSL को NSE में सूचीबद्ध किया गया इसके बाद यह एशिया- प्रांत क्षेत्र में लिस्टेड होने वाली पहली डिपॉजिटरी बन गई।

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डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट और ‌CDSL

डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट DP , एक बैंक खाता धारक, BO (बेनेफिशियल ऑनर), सिक्योरिटीज को जारी करने वाली कंपनी CDSL , बेनेफिशरी ऑनर के ब्रोकर और स्टॉक एक्सचेंज के बीच एक आधार स्तंभ का काम करता है।

Central Depository Services Limited ने ‘DP’ को पूरे भारत में सिक्योरिटी के डिजिटल रूप से अपने समस्याओं का समाधान पाने में निवेशकों की मदद करने के लिए अधिकार दिया है।

CDSL की शेयर मार्केट में भूमिका

मार्केट में सीडीएसएल की भूमिका निम्नलिखित रूप से हैं :-

  • व्यापार बंदोबस्त (Trading Arrangement)
  • अभौतिकीकरण (Dematerialization)
  • रीमैटेरियलाइजेशन (Rematerialization)
  • डीमैट खाता रखरखाव (Demat Account Maintenance)
  • आवधिक स्थिति रिपोर्ट (Periodic status report)
  • खाता विवरण आदि। (Account details etc.)

CDSL शुल्क (CDSL Fees)

सीडीएसएल (CDSL) डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट (स्टॉक ब्रोकर्स) के द्वारा निवेशकों को अपनी सर्विस प्रोवाइड करवाता है, और यह इन्वेस्टर्स से सीधे शुल्क नहीं लेते हैं, बल्कि डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट यानी ब्रोकर निवेशकों से शुल्क लेते हैं

और उनकी अपनी फीस संरचना होती है इसीलिए आपके द्वारा चुने गए डिपॉजिट की पार्टिसिपेंट यानी ब्रोकर अलग-अलग आधार पर अपनी फीस चार्ज करते हैं।

CDSL के लिए जरूरी है डिमैट अकाउंट

  1. CDSL की सेवाओं का लाभ उठाने के लिए डीमैट (Dematerialization) अकाउंट खोलना अनिवार्य है।
  2. अकाउंट खोलने के लिए बैंक द्वारा लागू किये जाने वाले KYC नियम, डीमैट अकाउंट खोलने के लिए जरूरी है।
  3. यह डीमैट अकाउंट ना केवल CDSL की सर्विस का लाभ उठाने के लिए है बल्कि, आजकल स्टॉक और सिक्योरिटीज ट्रेडिंग करने के लिए भी महत्वपूर्ण है।
  4. यह सिक्योरिटीज की डिजिटल सर्विस के लिए सभी फ़ाइनेंशियल ट्रांजेक्शन का हिस्सा और माध्यम बन गया है।
  5. एक बैंक खाते की तरह ही इसका भी एक डीमैट अकाउंट नंबर होता है और केवल अकाउंट होल्डर ही डीमैट अकाउंट से सिक्योरिटीज को जोड़ या हटा सकता है।

सीडीएसएल कैसे काम करता है?

CDSL काम करता है एक इलेक्ट्रॉनिक डिपॉजिटरी के रूप में जिसका उद्देश्य सिक्योरिटी जैसे की शेयर्स, बॉन्ड को पेपर ली और इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में स्टोर करना, और ट्रांसफर करना साथी सेफ रखना होता है, यह प्रक्रिया इन्वेस्टर और डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट यानी ब्रोकर के बीच होता है। CDSL कैसे काम करता है इसकी प्रक्रिया हम नीचे स्टेप बाय स्टेप समझेंगे

1, डिमैट अकाउंट खोलना :-

इलेक्ट्रॉनिक रूप से सिक्योरिटीज को रखने के लिए निवेशकों को डीएसएल के साथ रजिस्टर्ड डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट यानी ब्रोकर के साथ एक डीमैट अकाउंट खोलना होगा, एक ब्रोकर बैंक या फाइनेंशियल इंस्टीट्यूट या फिर एक ब्रोकरेज फ्रॉम हो सकता है ब्रोकर इन्वेस्टर और CDSL के बीच बिचौलिए के रूप में कार्य करता है।

2, डीमैटरियलाइजेशन :-

डिमैट अकाउंट खोलने के बाद CDSL सिक्योरिटी इसको फिजिकल फॉर्म से इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में कन्वर्ट करता है और इसी प्रक्रिया को डिमॉनेटाइजेशन कहते हैं, इससे इन्वेस्टर्स को फिजिकल सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं होती है।

3, ‌सिक्योरिटीज को धारण करना (DPs) :-

CDSL के द्वारा रजिस्टर्ड ब्रोकर के माध्यम से इन्वेस्टर अपने सिक्योरिटीज को डिपॉजिटरी में इलेक्ट्रॉनिक के रूप से हॉल्ड करते हैं।। क्योंकि स्टॉक ब्रोकर इन्वेस्टर के सिक्योरिटी इसका इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड मेंटेन करते हैं जिससे निवेशक ब्रोकर के ऑनलाइन पोर्टल या संचार चैनलों के माध्यम से अपनी होल्डिंग्स लेनदेन की हिस्ट्री और खाते का विवरण देख सकता है।

4, सिक्योरिटीज को ट्रांसफर करना :-

जब कोई अपने शेयर्स से या सिक्योरिटीज को दूसरे डिमैट अकाउंट में ट्रांसफर करना चाहता है तो उसे अपने ब्रोकर को स्थानांतरण निर्देश प्रदान करने की आवश्यकता होती है और फिर CDSL वेरीफाई करता है और फिर उनकी सिक्योरिटीज को दूसरे अकाउंट में ट्रांसफर कर देता है, हालांकि यह ट्रांसफर ब्रोकर के बीच में होता है।

5, कॉरपोरेट एक्शन :-

CDSL कॉरपोरेट एक्शन जैसे बोनस या स्प्लिट के टाइम पर इन्वेस्टर्स के अकाउंट में नेसेसरी चेंजेज को अपडेट करता है साथ ही विभिन्न कारपोरेट कार्रवाइयों जैसे बोनस डिविडेंड आदि अधिकारों की पेशकश और सिक्योरिटी से जुड़े अन्य अधिकारों का प्रबंध करता है।

6, IPO (Initial Public Offer)

CDSL IPOs के दौरान इन्वेस्टर एस के एप्लीकेशंस और अलॉटमेंट को हैंडल करता है।

इस तरह से, CDSL एक महत्वपूर्ण रोल प्ले करता है सिक्योरिटीज मार्केट के स्मूथ फंक्शनिंग में, सिक्योरिटीज के ट्रेडिंग और सेटलमेंट में दक्षता और सुरक्षा प्रदान करना।

FAQ – CDSL क्या है?

सीडीएसएल क्या काम करते हैं?

CDSL काम करता है एक इलेक्ट्रॉनिक डिपॉजिटरी के रूप में जिसका उद्देश्य सिक्योरिटी जैसे की शेयर्स, बॉन्ड को पेपर ली और इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में स्टोर करना, और निवेशक खातों का प्रबंधन करना।

सीडीएसएल का मालिक कौन है?

CDSL का कोई मालिक नहीं है, इसको बीएसई लिमिटेड द्वारा प्रवर्तित किया गया था। भारतीय स्टेट बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, एचडीएफसी बैंक, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया जैसे प्रमुख बैंकों के साथ संयुक्त रूप से।

भारत में कितने डिपॉजिटरी हैं?

भारत में, दो डिपॉजिटरी हैं: नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरीज लिमिटेड (NSDL) और सेंट्रल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरीज लिमिटेड (CDSL)।

What is cdsl in hindi Conclusion

CDSL का मतलब सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज लिमिटेड है। यह भारत में एक डिपॉजिटरी है जो शेयरों को इलेक्ट्रॉनिक रूप से स्टोर करता है और स्टॉक ब्रोकरों के माध्यम से डीमैट सेवाएं प्रदान करता है। CDSL सेबी के साथ पंजीकृत है और डिबेंचर, बॉन्ड, ईटीएफ, म्यूचुअल फंड, सरकारी प्रतिभूतियां और ट्रेजरी बिल जैसे अन्य वित्तीय उपकरणों के भंडारण की सुविधा भी देता है।

यह शेयर बाजार के कामकाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और निवेशकों को सुविधा और सुरक्षा प्रदान करता है। आशा करते हैं आपको CDSL के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी अगर आप शेयर मार्केट के बारे में और जानना चाहते हैं तो हमारी वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं।

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