डिविडेंड क्या होता है : आपने शेयर मार्केट में अक्सर डिविडेंड का नाम सुना होगा क्योंकि कई सारी कंपनियां अपने शेयरधारकों (Shareholders) को डिविडेंड दे रही है ऐसे में कई लोगों के मन मे सवाल उठता है कि आखिर यह डिविडेंड होता क्या है, और मिलता कैसे हैं ?
सवाल यह भी है कि आखिर कंपनी डिविडेंड क्यों देती है? साथ ही कुछ कंपनियां डिविडेंड देती है और कुछ नहीं, ऐसा क्यों? और डिविडेंड की परिभाषा क्या है? आपके सारे सवालों के जवाब मिलेंगे इस लेख में तो आइए जानते हैं डिविडेंड के बारे में सब कुछ :-
डिविडेंड क्या होता है ?
कुछ कंपनियां अपने प्रॉफिट का कुछ हिस्सा अपने शेरहोल्डर्स में बांट देती हैं और कंपनी द्वारा प्रॉफिट में से बांटे हुए इसी हिस्से को Dividend कहते हैं।
उदाहरण के लिए – अगर आपके पास एक कंपनी के 500 Shares हैं और वह कंपनी ₹5 प्रति शेयर का डिविडेंड देने की घोषणा करती है तो आपके 500 शेयर्स पर टोटल ₹2500 का डिविडेंड मिलेगा और यह डिविडेंड सीधे आपके उसे बैंक अकाउंट में जमा होगा जिसको आपने डिमैट अकाउंट खुलवाते समय अटैच किया था, जरूरी नहीं कंपनी आपको नगद डिविडेंड ही भुगतान करें इसमें शेयर्स भी हो सकते हैं।
Whatsapp Channel 👉 | यहां क्लिक करें 😍 |
Telegram Channel 👉 | यहां क्लिक करें 😍 |
आईए जानते हैं डिविडेंड कितने प्रकार का होता है।
डिविडेंड के कई प्रकार हो सकते हैं लेकिन मुख्य रूप से तीन है जो निम्नलिखित हैं —
- नकद डिविडेंड :- यह एक प्रकार से सबसे आम डिविडेंड है और इसमें डिविडेंड के रूप में नकद भुगतान किया जाता है। यह नकद भुगतान है जिसे सीधे कंपनी से शेयरधारक के खाते में भेजा जाता है। आमतौर पर भुगतान इलेक्ट्रॉनिक रूप से किया जाता है, लेकिन कभी-कभी भुगतान चेक के माध्यम से भी किया जा सकता हैं।
- स्टॉक डिविडेंड :- शेयरधारकों के लिए इस प्रकार के लाभांश में कंपनी securities के रूप में डिविडेंड का भुगतान करती है। यह तब दिया जाता है जब कंपनी को कमर्शियल या मौद्रिक रिजल्ट्स के माध्यम से एडिशनल इनकम प्राप्त होती है।
- बोनस डिविडेंड :- बोनस शेयर एक कंपनी द्वारा तब जारी किए जाते हैं जब वह अच्छा मुनाफा कमाने के बावजूद धन की कमी के कारण अपने शेयरहोल्डर्स को डिविडेंड (dividend) का भुगतान करने में सक्षम नहीं होती है। ऐसे में कंपनी अपने मौजूदा शेयरहोल्डर्स को डिविडेंड (Dividend) देने के बजाय बोनस शेयर जारी करती है।
डिविडेंड फेस वैल्यू पर निर्भर होता है
किसी भी शेयर की दो प्रकार की वैल्यू होती हैं, पहली फेस वैल्यू और दूसरी मार्केट वैल्यू। मार्केट वैल्यू तो सभी को पता है, यह वे वैल्यू होती है जिस पर मार्केट में कंपनी के शेयर ट्रेड कर रहे हैं। वहीं फेस वैल्यू कंपनी की तरफ से शेयरों की संख्या निर्धारित करते हुए ते की गई वैल्यू होती है।
जो 1 से 10 रुपये के बीच कुछ भी हो सकती है, और आपको बता दे की डिविडेंड को कंपनियों की फेस वैल्यू के परसेंट के फॉर्म में बताया जाता है। जैसे की अगर किसी कंपनी की फेस वैल्यू ₹10 हैं और कंपनी ₹10 प्रति शेयर का डिविडेंड देने की घोषणा करती है तो इसका मतलब कंपनी ने 100% का डिविडेंड डिक्लेयर किया है वहीं अगर यही कंपनी ₹15 प्रति शेयर का डिविडेंड डिक्लेयर करती है तो यह कहा जाएगा की कंपनी ने 150% का डिविडेंड दिया है।
डिविडेंड के लिए रखें इन 4 तारीख को का ध्यान
जब भी बात डिविडेंड की आती है तो आपको इससे जुड़ी 4 तारीख को के बारे में पता होना चाहिए जो की निम्नलिखित है
- अनाउंसमेंट डेट (Announcement Date) :- जब कोई कंपनी डिविडेंड देने की घोषणा करती हैं तो उसे अनाउंसमेंट डेट कहा जाता है, इसमें कंपनी यह भी बताती है कि वह कितने रुपए का डिविडेंड देने वाली है और इसके बाद ही पब्लिक को पता चलता है कि फला कंपनी डिविडेंड देने वाली है।
- एक्स डिविडेंड डेट (Ex Dividend Date) :- यह वह तारीख होती है जिस दिन तक कंपनी के शेयर खरीदने वाले को डिविडेंड का लाभ दिया जाता है। यानी अगर इस तारीख के बाद आप शेयरों की खरीदारी करते हैं तो आप लाभ के हकदार नहीं होंगे, इसे कंपनी द्वारा ही फिक्स किया जाता है।
- रिकॉर्ड डेट (Record Date) :- रिकॉर्ड डेट आम तौर पर एक्स-डिविडेंड डेट के बाद का दिन होता है, रिकॉर्ड डेट पर कंपनी के शेयर्स जिनके भी डीमैट अकाउंट में होते हैं, कंपनी उन्हें डिविडेंड देती है, तो अगर आपको कंपनी का डिविडेंड लेना है तो कंपनी के शेयर्स रिकॉर्ड डेट पर आपके डीमैट अकाउंट में होने चाहिए।
- पेमेंट डेट (Payment Date) :- जिस दिन डिविडेंड शेरहोल्डर्स के खाते में क्रेडिट होता है उसे पेमेंट डेट कहते हैं हालांकि पेमेंट खाते में आने के लिए कुछ दिन का समय ले सकता है लेकिन मिलेगा जरूर
उदाहरण से समझिए :- मान लीजिए कंपनी ने 1 फरवरी को डिविडेंड देने का अनाउंसमेंट किया, तो यह डिविडेंड की अनाउंसमेंट डेट हो गई। वहीं कंपनी इसके लिए रिकॉर्ड डेट 27 फरवरी तय करती है, तो यहां एक्स डिविडेंड डेट 26 फरवरी हो जाती है। अब जैसे की आपके खाते में डिविडेंड के पैसे 14 मार्च को आते हैं तो 14 मार्च आपकी पेमेंट डेट हो गई।
भारत के अच्छे ब्रोकर के साथ में डीमैट अकाउंट ओपन करने के लिए नीचे दिए हुए लिंक का इस्तेमाल करें
यह भी पढ़े 📚
- शेयर मार्केट में निवेश कैसे करें ?
- पेपर ट्रेडिंग कैसे करें | Phone Se Paper Trading Kaise Kare
- डेरिवेटिव क्या है | Derivatives Meaning in Hindi
कंपनियां डिविडेंड क्यों देती हैं
निवेशको का भरोसा बनाए रखने के लिए
भरोसा कायम करने के लिए देखिए डिविडेंड शेरहोल्डर्स के कंपनी में उनके इन्वेस्टमेंट के लिए एक इनाम का रूप होता है वैसे डिविडेंड से कंपनी को सीधे तौर पर कोई फायदा नहीं होता है लेकिन कंपनी अपने मुनाफे में शेयर होल्डर्स को भी हिस्सेदारी मानती है और डिविडेंड पेमेंट से कंपनी पर पॉजिटिवली रिफ्लेक्ट होता है डिविडेंड इन्वेस्टर के भरोसे को बनाए रखने में मदद करता है और अगर शेरहोल्डर्स को शेयर्स में कुछ घटा भी हुआ है तो डिविडेंड से उसे घंटे की कुछ हद तक भरपाई हो जाती है और निवेशक कंपनी से जुड़ा रहता है और कंपनी पर भरोसा बना रहता है।
इन्वेस्टर्स होते हैं आकर्षित
कई बार कंपनियां शेयरों में गिरावट को रोकने या फिर और अधिक शेयरधारकों को आकर्षित करने के लिए भी डिविडेंड बांटती हैं, इससे आकर्षित होकर ज्यादा से ज्यादा लोग उस कंपनी के शेयरों में निवेश करते हैं और इससे कंपनी के शेयर्स के रेट्स में उछाल आता है। ज्यादातर निवेशक ऐसी कंपनियों की तलाश में रहते हैं, जो ज्यादा से ज्यादा डिविडेंड देती हैं।
डिविडेंड कब दिया जाता है
आखिर डिविडेंड कब दिया जाता है? डियर पाठक डिविडेंड देने के लिए वैसे तो कोई भी तय नियम नहीं है, परंतु कंपनियां हर तिमाही नतीजे के बाद डिविडेंड देना ज्यादा पसंद करती है लेकिन यह जरूरी नहीं है कि हर बार ऐसा हो कई बार कंपनियां नतीजे से पहले या बीच में भी डिविडेंड दे देती है यानी कि यह टोटली कंपनी के ऊपर डिपेंड करता है कि वह कब डिविडेंड दे खाने का मतलब कंपनी जब जाए तब डिविडेंड दे सकती है।
डिविडेंड यील्ड क्या होता है?
डिविडेंड यील्ड एक महत्वपूर्ण मीट्रिक है जो स्टॉकहोल्डर्स को वार्षिक डिविडेंड भुगतान निर्धारित करने में मदद करता है। डिविडेंड यील्ड से हमें यह पता चलता है कि कंपनी अपनी मार्केट वैल्यू की तुलना में कितना डिविडेंड देती है, साथ ही डिविडेंड यील्ड निकालने के लिए प्रति शेयर मिले डिविडेंड को शेयर की बाजार कीमत से भाग देकर 100 से गुना कर दिया जाता है इससे पता चलता है कि उसे शेयर का डिविडेंड यील्ड कितना है।
FAQ डिविडेंड क्या होता है ?
देखिए डिविडेंड का भुगतान मासिक, तिमाही, छमाही या सालाना किया जा सकता है। कंपनियां अपने प्रॉफिट का एक हिस्सा अपने शेरहोल्डर्स में बांट सकती हैं डिविडेंड की पूरी प्रक्रिया आर्टिकल में दी गई है
कुछ कंपनियां साल में 2-3 बार डिविडेंड देती हैं, कुछ एक बार देती हैं। और कुछ कंपनियां देती नहीं है यह कंपनी पर डिपेंड करता है।
कितना टैक्स लगता है डिविडेंड पर? अगर आपको मिलने वाला डिविडेंड 5000 रुपये से अधिक है तो आपको उस टीडीएस काटा जाता है। इनकम टैक्स की धारा 194 के तहत डिविडेंड 5000 रुपये से अधिक होने पर उस पर 10 फीसदी टीडीएस काटा जाता है। अगर पैन नहीं है तो उस स्थिति में 20 फीसदी की टीडीएस कटौती की जाती है।
Dividend kya hota hai Conclusion
डिविडेंड कंपनी के प्रॉफिट का एक हिस्सा होता है जो शेर धार को के बीच वितरित किया जाता है, यह नकदी या शेयर के रूप में हो सकता है। कंपनी अपने शेरहोल्डर्स को पुरस्कृत करने और अधिक निवेशको आकर्षित करने के लिए डिविडेंड देती है,
Whatsapp Channel 👉 | यहां क्लिक करें 😍 |
Telegram Channel 👉 | यहां क्लिक करें 😍 |
डिविडेंड शेयर बाजार में निवेश का एक महत्वपूर्ण पहलू है और शेयरधारकों के लिए नियमित आय का स्रोत प्रदान कर सकता है। यह लेख डिविडेंड के बारे में छोटी-छोटी जानकारी पर प्रकाश डालता है आशा करते हैं आपको डिविडेंड के बारे में पूरी जानकारी मिली होगी। शेयर मार्केट के बारे में जानने के लिए स्टॉक पत्रिका पर विजिट करते रहे।