Market Cap in Hindi, मार्केट कैप क्या होता है Market Capitalization

नमस्कार डियर पाठक स्वागत है, आपका स्टॉक पत्रिका परिवार में आज हम जानने वाले हैं की मार्केट कैप क्या होता है? Market Cap in Hindi क्योंकि कई सारे निवेशक जब नए-नए मार्केट में आते हैं तो उन्हें नहीं पता होता है कि मार्केट कैप क्या होता है तो आज के इस आर्टिकल में हम बिल्कुल सरल तरीके से जानेंगे कि मार्केट के होता क्या है और मार्केट के कैसे काम करता है साथ ही यह भी जानेंगे कि मार्केट कैप की गणना कैसे करते हैं?

Market Cap in Hindi, डियर पाठक अगर आप भी एक ट्रेडर है या इक्विटी इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करते हैं, या फिर आप भी शेयर मार्केट में निवेश करना चाहते हैं, तो आपको एक शब्द का सामना अवश्य करना पड़ा होगा या करना पड़ेगा वह है मार्केट केपीटलाइजेशन (Market Capitalization) यानी कि बाजार पूंजीकरण और इसे शॉर्ट फॉर्म में मार्केट कैप (Market Cap) कहते हैं स्टॉक मार्केट में मार्केट के उतार-चढ़ाव में मार्केट कैप का महत्वपूर्ण योगदान होता है इसलिए अगर आप एक नए ट्रेडर है तो आपको यह जानना अति आवश्यक है कि Market Capitalization Kya Hai? (What is Market Cap in Hindi) चलिए आगे बढ़ते हैं।

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मार्केट कैप क्या है? What is Market cap in hindi (Market Cap in Hindi)

Capitalization Meaning in Hindi मार्केट कैपिटलाइज़ेशन दो शब्दों का कॉम्बिनेशन है : मार्केट (बाजार) और कैपिटलाइज़ेशन (पूंजीकरण) अगर मार्केट कैप को सिंपल भाषा में समझने का प्रयास करें तो मार्केट कैप का मतलब होता है किसी भी कंपनी के आउटस्टैंडिंग (बकाया) शेयरों की टोटल मार्केट वैल्यू , मार्केट कैप को समझने के लिए आपको पहले इन दो महत्वपूर्ण शब्दों का अध्ययन करना होगा जिससे कि आपको मार्केट कैप का अर्थ आसानी से समझ में आए

  1. मार्केट वैल्यू (Market Value)
  2. आउटस्टैंडिंग शेयर (Outstanding Share)

मार्केट वैल्यू (Market Value) :-

मार्केट वैल्यू कंपनी के प्रत्येक शेयर का प्राइस है, आपको बता दें कि मार्केट मार्केट वैल्यू शेयरों की मांग और आपूर्ति के आधार पर निर्धारित होता है, क्योंकि अगर आपूर्ति की तुलना में मांग अत्यधिक है, तो कंपनी की मार्केट वैल्यू बढ़ जाती है। वहीं अगर मांग की तुलना में आपूर्ति अत्यधिक है, तो कंपनी की मार्केट वैल्यू कम हो जाती है और आपको बता दे की मार्केट वैल्यू में अप डाउन होता रहता है इसीलिए कंपनी का मार्केट कैप समय के साथ परिवर्तनशील होता है कहने का मतलब कम ज्यादा होता रहता है।

आउटस्टैंडिंग शेयर (Outstanding Share in Hindi) :-

आउटस्टैंडिंग शेयर यानी कि बकाया शेयर यह वह शेयर होते हैं जो पब्लिक को जारी किए जाते हैं, और ट्रेड के लिए अवेलेबल शेयरों की संख्या अवेलेबिलिटी दिखाते हैं और डियर पाठक कंपनी के बकाया शेयर यानी की आउटस्टैंडिंग शेयर और कुल शेयर अलग हो सकते हैं क्योंकि आपको बता दे की कंपनी जब शेयर कैपिटल तैयार करती है तो वह सभी शेयर पब्लिक को जारी नहीं कर सकते

चलिए एक उदाहरण के माध्यम से समझने का प्रयास करते हैं, जैसे कि कोई XYZ कंपनी है जिसके पास 50,000 शेयर कैपिटल है और वह पब्लिक को ट्रेड करने के लिए केवल 40,000 शेयर जारी कर सकती है बाकी बचे 10,000 शेयर कंपनी अपने प्रमोटरों और फाउंडर के पास रह जाते हैं या रख सकते हैं।

इसलिए बकाया (Outstanding) शेयरों पर विचार करते समय कंपनी द्वारा एक्चुअल में जारी किए गए शेयरों पर विचार किया जाएगा। जैसा कि ऊपर बताए गए उदाहरण में विदित हैं है कि बकाया शेयर 40,000 होंगे और इन्हीं शेयरों की मार्केट वैल्यू का उपयोग करके मार्केट केपीटलाइजेशन का कैलकुलेशन किया जाएगा

Calculation of Market Cap in Hindi, बाजार पूंजीकरण की गणना 

डियर पाठक अब आपके दिमाग में एक सवाल आ रहा होगा कि आखिर मार्केट कैप की कैलकुलेशन कैसे करें (how to calculate market cap) चलिए आपको सिंपल भाषा में फार्मूला बताते हैं जो किसी भी कंपनी के मार्केट कैप की गणना करता है यह फार्मूला कुछ इस प्रकार है :-

मार्केट कैप की गणना स्टॉक की कीमत (Stock Price) को उसके बकाया शेयरों (Outstanding Shares) की कुल संख्या से गुणा करके की जाती है।

Market Capitalization = Current Stock Price × Number of outstanding shares

चलिए जानते हैं कि यह फॉर्मूला कैसे काम करता है, चलि एक उदाहरण के माध्यम से समझते हैं-

मान लीजिए कोई XYZ कंपनी जनता को 1 लाख शेयर जारी करती है। प्रत्येक शेयर की मार्केट प्राइस 300 रुपये है। इस मामले में XYZ कंपनी का Market Capitalization 1 लाख रुपये × 300 रुपये = 3 करोड़ रुपये होगा।

मार्केट कैप क्यों महत्वपूर्ण है ?

(Market Cap) मार्केट कैप इसलिए महत्वपूर्ण है कि यह निवेशकों को एक कंपनी की वैल्यूएशन करने में हेल्प करता है। जिससे कि इनवेस्टर एक कंपनी का कंपैरिजन दूसरी कंपनी से कर सकता है, और आपको बता दे की मार्केट कैप के माध्यम से हम यह भी पता लगा सकते हैं, कि कंपनी की ओपन मार्केट में क्या रेट है साथ ही हम यह भी पता लगा सकते हैं, कि कंपनी भविष्य में मार्केट के अंदर कैसे परफॉर्म करेगी और मार्केट कैप के माध्यम से ही पता लगता है, कि निवेशक स्टॉक खरीदने के लिए क्या भुगतान कर रहा है।

मार्केट केपीटलाइजेशन के आधार पर वर्गीकरण 

Market Cap in Hindi:- आपको बता दें कि SEBI कैपिटल मार्केट को नियंत्रित करता है और सेबी ने स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड कंपनियों को उनके मार्केट कैप के हिसाब से तीन भागों में वर्गीकृत किया है लार्ज-कैप, मिड-कैप और स्मॉल-कैप चलिए सेबी के इस वर्गीकरण को विस्तार से समझते हैं।

लार्ज-कैप कंपनियां (Large Cap Companies)

ये ऐसे स्टॉक होते हैं जिनका Market Cap सबसे अधिक होता है। लार्ज कैप कंपनियों का Market Capitalization ₹ 15000 करोड़ रूपये से अधिक होता और स्टॉक एक्सचेंज में 1 और 100 के बीच हाई मार्केट केपीटलाइजेशन (High Market Capitalization) रैंकिंग वाली लिस्टेड कंपनियों को लार्ज-कैप कंपनियां कहा जाता है।

लार्ज कैप वाली कंपनियां क्वालिटी सर्विस और प्रोडक्ट के साथ लोकप्रिय ब्रांड के रूप में जानी जाती है। और आपको बता दें कि यह कंपनियां रेगुलर डिविडेंड के साथ-साथ स्टेबल ग्रोथ भी दर्शाती है और आखिर नतीजा ही होता है। कि लार्ज कैप शेयर (Large Cap Share) में इन्वेस्टमेंट को (Mid Cap) मिड कैप या (Small Cap) स्मॉल कैप शेयरों की तुलना में अधिक डिफेंसिव माना जाता है, क्योंकि लार्ज कैप शेयर में रिस्क कम होता है और रिटर्न भी स्थिर मिलता है इसलिए (Large Cap Companies) लार्ज कैप कंपनियों को लोंग टर्म इन्वेस्टमेंट के लिए अच्छा माना जाता है:- उदाहरण के लिए रिलायंस, इन्फोसिस, एचडीएफसी बैंक, टीसीएस और हिंदुस्तान यूनिलीवर शामिल हैं।

मिड कैप कंपनियां (Mid Cap Companies)

(Mid Cap) मिड कैप कंपनियों में Market Cap ₹ 7000 करोड़ तक होता है। और यह सेबी के सूची अनुसार 101 से 250 के बीच रैंक करती है वह मिड कैप कंपनियां कहलाती है। और यह इंडस्ट्री में स्टेबल कंपनियां होती है, और यहां तक सफर करने पर इनके पास तेजी से विकास पावर आ जाती है ।और इनके स्टॉक को देखकर हम यह पता लगा सकते हैं कि यह कंपनी मार्केट में अपनी जगह बना चुकी है ,

लेकिन फिर भी मिडकैप में ऐसा माना जाता है कि यहां पर इन्वेस्ट करना रिस्की है लेकिन यहां पर रिटर्न की बात करें तो लार्ज कैप स्टॉक बेहतर मिलता है। उदाहरण के लिए मिड कैप वाली कंपनियां:- जिंदल स्टील एंड पावर, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल), एमआरएफ, गोदरेज प्रॉपर्टीज और अदानी पावर जैसी कंपनी मिड कैप में शामिल हैं।

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स्मॉल-कैप कंपनियां (Small Cap Companies)

Small Cap Companies स्मॉल कैप में शामिल कंपनियों की मार्केट प्राइस और मार्केट कैप दोनों कम होते हैं, इनका मार्केट कैप ₹5000 करोड़ तक होता है, SEBI के सूची अनुसार स्टॉक एक्सचेंज में 251 या उससे अधिक Market Cap वाली कंपनियां हैं, उन्हें स्मॉल-कैप कंपनियां कहा जाता है। इन सभी स्टॉक को सबसे ज्यादा रिस्की माना जाता है, ऐसा इसलिए कि यह कंपनियां अभी खुद को मार्केट में स्टेबल करने में लगी हुई है, और यही कारण है कि इन्हें अत्यधिक रिस्की स्टॉक कहते हैं।

मार्केट कैप से इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटेजी कैसे बनाई जाती है?

Market Cap in Hindi :- कंपनियों द्वारा जारी किए गए शेयरों को मार्केट कैप के अनुसार बांटा जाता है जैसे :- लार्ज कैप कंपनियां लार्ज कैप स्टॉक जारी करती है, वहीं मिड कैप कंपनियां मिड कैप स्टॉक्स जारी करती है, और इसी प्रकार स्मॉल कैप कंपनियां स्मॉल कैप स्टॉक्स जारी करती है, यह सब अलग-अलग मार्केट कैपिटल सेगमेंट के शेयरों के आधार पर अलग-अलग रिस्क एंड रिटर्न प्रोफाइल होते हैं। चलिए इनको थोड़ा डिटेल में जानते हैं

लार्ज-कैप स्टॉक (Large Cap Stocks)

डियर पाठक लार्ज कैप स्टॉक उन कंपनियों के हैं, जो मार्केट में खुद को स्टेबल कर चुकी है इन कंपनियों के पास मजबूत एंपायर होता है, और यह कंपनियां अर्थव्यवस्था के मामले में बेहतरीन प्लेयर होती है, मार्केट में मंदी की स्थिति में भी लार्ज कैप कंपनियां स्थिरता को दूर करने में सक्षम होती है, लार्ज कैप स्टॉप को गुणवत्ता वाला स्टॉप या फिर ब्लू चिप स्टॉक कहते हैं। इनकी लॉस एंड रिटर्न प्रोफाइल फिक्स होती है।

मिड कैप स्टॉक (Mid Cap Stocks)

मिड कैप स्टॉक उन कंपनियों के हैं जो अभी विकासशील है, कहने का मतलब यह भी अपने आप को स्टेबल करने में लगी हुई है मिड कैप शेयरों में लार्ज कैप शेयरों की तुलना में अधिक लॉस एंड रिटर्न प्रोफाइल होता है।

स्मॉल-कैप स्टॉक (Small Cap Stocks)

स्मॉल कैप स्टॉक उन कंपनियों के हैं जिन्होंने मार्केट में खुद को अभी ज्यादा विस्तारित नहीं किया है वह स्मॉल कैप कैटेगरी में आती है यह प्रगतिशील होने के कारण इनके शेयरों में अधिक वृद्धि की संभावना रहती है लेकिन डाउनस्विंग में ज्यादातर स्टॉक फिक्स नहीं रहते हैं और इनमें में ज्यादा वोलैटिलीटि होती है इसलिए इन कंपनियों में सबसे ज्यादा नुकसान होता है स्मॉल कैप स्टॉक में हाई लॉस रिटर्न प्रोफाइल होता है

निष्कर्ष Market Cap in Hindi,

डियर पाठक आज के इस लेख‌ Market Cap in Hindi में हमने आपको मार्केट किए की पूरी जानकारी दीजिए साथ ही यह भी बताया है कि market cap का कैलकुलेशन कैसे करें आशा करते हैं कि आपको मार्केट कैप के बारे में सारी बातें समझ में आ गई होगी आज के इस आर्टिकल को यहीं समाप्त करते हैं अगर आपका फिर भी कोई सवाल है तो आप कमेंट बॉक्स में बेइज्जत पूछ सकते हैं

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